मेरे मौला........

Thursday, May 12, 2011

बस कुछ पल की महेरबानी कर, मेरे मौला,
फिर चाहे ज़िन्दगी गमों से भर, मेरे मौला,

की, अब कुछ बोले बिना उसे सब सुनाई दे,
मेरी मोहब्बत में हो इतना असर, मेरे मौला,

दो पल के लिए ही कंधे पे रक्खा है सर उसने,
वक़्त की सुई को केह जरा ठहर, मेरे मौला,

मंजिल से पहले ही उसने साथ मेरा छोड़ा हैं,
अब तनहा हैं ज़िन्दगी का सफ़र, मेरे मौला,

ये कैसी ज़िन्दगी वों तौफे में दे गई ‘योग्स’,
ना जीने को कहा, ना ही कहा मर, मेरे मौला.

योग्स....

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इश्क..........

इश्क फरमाने की जुदा रीत नहीं होती,
इश्क-मोहब्बत में हार-जीत नहीं होती,

मीरा जी ना सहेती राणा के हर सितम,
गर उन्हें भी कान्हा सें प्रीत नहीं होती,

क्यूँ सहेता वो भी सर-ऐ-बाज़ार पत्थर,
लैला जो मजनू की मन-मीत नहीं होती,

वो इश्क ही दफन हैं ताज महल में यारों,
कब्र होती तो इतनी बात-चीत नहीं होती,

ये सोच लोगों की दूर कर दे ‘योग्स’ की,
रब की दुआ इश्क कें मुहीत नहीं होती.

योग्स....

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મને આ દુનિયા મારા સહીત નડે છે.....

મને દુનિયાની ગોજારી રીત નડે છે,
અચ્છાઈ પર બુરાઈ ની જીત નડે છે,

નોટો ના દમ પર ખુરસી મેરવનારા
અને લોભી પ્રજાની આ પ્રીત નડે છે,

ઝાલવો નથી કોઈએ હાથ ગરીબનો,
બે જના વચ્ચેની આ ભીત નડે છે,

દુખ ના સાંભરનારા લોકોના મોઢેથી,
બુમો પાડી ગવાતું રાષ્ટ્રગીત નડે છે,

ના બદલી સક્યો હું દુનિયાને "યોગ્સ",
મને આ દુનિયા મારા સહીત નડે છે.

યોગ્સ....

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