मेरे मौला........

Thursday, May 12, 2011

बस कुछ पल की महेरबानी कर, मेरे मौला,
फिर चाहे ज़िन्दगी गमों से भर, मेरे मौला,

की, अब कुछ बोले बिना उसे सब सुनाई दे,
मेरी मोहब्बत में हो इतना असर, मेरे मौला,

दो पल के लिए ही कंधे पे रक्खा है सर उसने,
वक़्त की सुई को केह जरा ठहर, मेरे मौला,

मंजिल से पहले ही उसने साथ मेरा छोड़ा हैं,
अब तनहा हैं ज़िन्दगी का सफ़र, मेरे मौला,

ये कैसी ज़िन्दगी वों तौफे में दे गई ‘योग्स’,
ना जीने को कहा, ना ही कहा मर, मेरे मौला.

योग्स....

6 comments:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार September 28, 2011 at 8:27 PM  






आपको नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार

अरुन अनन्त March 14, 2012 at 4:19 PM  

वाह क्या बात , क्या खूब लिखा है

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" May 22, 2012 at 11:17 AM  

बस कुछ पल की महेरबानी कर, मेरे मौला,
फिर चाहे ज़िन्दगी गमों से भर, मेरे मौला,.....aaur jab meharbaani kare to hamesha ke waqt tham jaaye..acchi ghazal//shandar prastuti ke liye sadar badhayee aaur apne blog per sadar amantran ke sath

yogs May 29, 2013 at 5:07 PM  

thnx all of u, take care

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