प्यार ना कर सका,................

Friday, August 7, 2009

अपनी चाहत का मैं खुल कर इज़हार ना कर सका,
कुबूल है मुझे की तुझ से इतना प्यार ना कर सका,

ना पूरी कर सका कभी छोटी सी भी ख्वाहिश तेरी,
आजिज़ था मैं हर लम्हा पर इकरार ना कर सका,

क्या वजह रही होगी जरा सोचना तू ये तन्हाई में,
बेवफा कहा तुने मुझे और मैं तकरार ना कर सका,

डर-ऐ-यार तक दर था उस से अब वों ही साथी हैं,
पागल था खुद की परछाई पे ऐतबार ना कर सका,

सच कहा था “योग्स” नसीब में है वों ही रब देगा,
वों दर्द पे दर्द देता रहा मैं इनकार ना कर सका.

योग्स....

2 comments:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' August 27, 2009 at 4:33 PM  

सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' August 27, 2009 at 4:39 PM  

सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

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